2021-08-15
Location : Webinar


जैनइंजीनियर्ससोसाइटी-पुणेप्रकोष्ठ: वर्षाऋतुमेंआहार-विहार ग्रीष्मऋतुसमाप्तहोनेपरवर्षाऋतुकाआगमनहोताहै।ग्रीष्मऋतुमेंसूर्यकाप्रकाशअत्यन्तउष्ण (तेज) होनेकेकारणसम्पूर्णवायुमण्डलअत्यंतगर्महोजाताहै, जिससेमनुष्यकेशरीरकेआवश्यकपोषकतत्व (रसआदिधातु) काशोषणहोजानेसेपाचनशक्ति (भोजनपचानेकीशक्ति) मंदहोजातीहै, जिससेहमग्रीष्मऋतुमेंतथाइसकेबादभीशारीरिकदुर्बलतामहसूसकरतेहैं।अतःवर्षाऋतुमेंप्रकुपितहुएवातआदिदोषकेकारणवर्षाऋतुहोनेवालेरोगोंसेबचनेकेलिएमंदहुईपाचनशक्तिकोबढ़ानेकेलिएएवंमनुष्यकोअपनेस्वास्थ्यकीरक्षाकेलिएआहारविहारकाविशेषध्यानरखनाचाहिए।अतःइसमहत्वपूर्णविषयपरआयुर्वेदाचार्यवैद्यश्रीमतीकलाकासलीवाल, MD,Ph.D., प्रधानचिकित्सक : "कल्याणकारकम" आरोग्यभारतीसमिति, जयपुरकेप्रबोधनकाआयोजन 15 अगस्त,2021 कोकियागयाथा I कार्यक्रमकाप्रारम्भई.सुधीरजैन, अध्यक्ष - जे.इ.एस.,पुणेप्रकोष्ठद्वारासभीकेस्वागतएवंजैनइंजीनियर्ससोसाइटीकीसक्षिप्तजानकारीसेहुआ I कार्यक्रमकेसंयोजकई.(डॉ.) प्रकाशजैनबड़जात्याद्वारा "ज्येष्ठभारत - श्रेष्ठभारत" संकल्पनाकेबारेमेंसंक्षिप्तजानकारीकेपश्चातवैद्यश्रीमतीकलाकासलीवालजीकापरिचयउपाध्यक्षई. सुनिलजैनकटारियाद्वारादियागयाI अपनेएकघंटेकेउद्बोधनमेंवैद्यश्रीमतीकलाजीनेइसविषयपरप्रकाशडालतेहुएकुछमहत्वपूर्णमुद्दोंपरध्यानआकर्षितकिया I वर्षाऋतुकानमीयुक्तवातावरणजठराग्निकोमंदकरदेताहै।शरीरमेंपित्तकासंचयववायुकाप्रकोपहोजाताहै, जिससेवात-पित्तजनितवअजीर्णजन्यरोगोंकाप्रादुर्भावहोताहै।अपनीपाचनशक्तिकेअनुकूलमात्रामेंहलकासुपाच्यआहारलेनाऔरशुद्धपानीकाउपयोगकरना - इन 2 बातोंपरध्यानदेनेमात्रसेवर्षाऋतुमेंअनेकबीमारियोंसेबचावहोजाताहै।शामकाभोजन 5 से 7 बजेकेबीचकरलें।इससेभोजनकापाचनशीघ्रहोताहै।इसऋतुमेंशरीरकीरक्षाकरनेकाएकहीमूलमंत्रहैकिपेटऔरशरीरकोसाफरखाजायअर्थात्पेटमेंअपचवकब्जनहोऔरत्वचासाफऔरस्वस्थरखीजाय।आयुर्वेदकेअनुसारकुपितमलअनेकप्रकारकेरोगोंकोजन्मदेताहै।इससेगैसकीतकलीफ, पेटफूलना, जोड़ोंकादर्द, दमा, गठियाआदिकीशिकायतहोजातीहै।अशुद्धऔरदूषितजलकासेवनकरनेसेचर्मरोग, पीलिया, हैजा, अतिसारजैसेरोगहोजातेहैं।इसकेलिएआवश्यकहैकिजैनसंस्कृतिमेंनिरूपितआहार-विहार-विचार-आचारकोअपनाकरसभीतरहकीबिमारियोंसेदूररहकरवर्षाऋतूकाआनंदलें I उद्बोधनसेउपजेहुएप्रश्नों / शंकाओंएवंउनकेसमाधानपूर्णउत्तरोंकासिलसिलालगभगएकघंटेतकचलतारहा Iअंतमेंजैनसमाजकेवरिष्ठसदस्यऔंधनिवासीश्रीसतीशजीजैनकेइसविषयपरउनकेअनुभवएवंविचारोंकेसाथधन्यवादप्रस्तावकेसाथकार्यक्रमसमाप्तहुआ I ई.(डॉ.) प्रकाशजैनबड़जात्या संस्थापकसंरक्षक - जैनइंजिनीयर्ससोसाइटी : पुणेप्रकोष्ठ