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धार्मिक स्थलों के डॉक्यूमेंटेशन एवं डिजिटाइजेशन
एक महत्वपूर्ण गतिविधि
एक चुनौती : सभी धार्मिक स्थलों की परिसंपत्ति /भूमि जो भी है, वह राष्ट्र की संपत्ति है !!!
"मंदिर-मठों की परिसंपत्तियों को लेकर होने वाले विवाद के मामलों के समाधान को लेकर सरकार गंभीर है। मंदिरों, मठों एवं अन्य धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वेक्षण के लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद द्वारा प्रपत्र तैयार किया गया है। जिसमें परिसंपत्तियों की भूमि की पुरे विवरण की प्रविष्टि (एंट्री) की जाएगी।" उक्त वक्तव्य बिहार राज्य के के गन्ना उद्योग व विधि मंत्री श्री प्रमोद कुमार ने शनिवार, 21 अगस्त,2021 को "गया" में एक कार्यक्रम के समय कही। कलेक्ट्रेट में प्रमंडल स्तरीय बैठक करते हुए उन्होंने कहा कि सभी धार्मिक स्थलों की परिसंपत्ति /भूमि जो भी है, वह राष्ट्र की संपत्ति है। इसका संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक है। तथा राज्य के धार्मिक स्थलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इसी संदर्भ में 25 ऑक्टो,2021 को "शंका समाधान" के कार्यक्रम में प.पू.मुनि 108 श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने भी इस विषय पर चिंता व्यक्त कर मार्ग दर्शन प्रदान किया था I अतः इस विषय पर गंभीरता से विचार कर समय रहते जागकर कार्य करने की नितांत आवश्यकता है I अतः इस सन्दर्भ में कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे जैन धर्म की प्राचीनता, जैन धर्म का इतिहास, वर्तमान स्थिति, एवं कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों पर विचार करने की आवश्यकता है I
जैन धर्म की प्राचीनता
जैन धर्म की प्राचीनता पर यदि दार्शनिक शैली से विचार किया जाय, तो यह मानना होगा कि यह "अनादि" है I जब पदार्थ अनादि-निधन है, तब वस्तु स्वरूप का प्रतिपादक सिद्धांत क्यों न अनादि होगा ? इस सिद्धांत से विचार करने पर जैन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जायेगा I यह धर्म सर्वज्ञ तीर्थंकर भगवान के द्वारा प्रतिपादित सत्य का पुन्जस्वरूप है एवं मानव सभ्यता के प्रारम्भ में भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) ने इस अहिंसात्मक धर्म को प्रकाशित किया, जिसे पुनः पुनः प्रकाश में लाने का कार्य शेष 23 तीर्थंकरों ने किया I सिंधु नदी के तट पर अवस्थित मोहन जोदड़ो एवं हड़प्पा तथा मथुरा के कंकाली टीले से प्राप्त पुरातत्व सामग्रियों एवं उड़ीसा राज्य में उदयगिरि-खण्डगिरि की गुफाओं से प्राप्त शिलालेखों के आधार से जैन धर्म की प्राचीनता सिद्ध होती है I वर्तमान समय में भी खुदाई के समय प्राप्त जैन मूर्तियों एवं भग्नावशेषों से एक पुरातत्ववेत्ता का यह कथन सिद्ध होता है कि यदि हम 15 कि.मी.लम्बी त्रिज्या (radius) लेकर भारत के किसी भी स्थान को केंद्र बना कर वृत्त बनाएं, तो उसके भीतर निश्चय से जैन भग्नावशेष मिलेंगे I इससे भी जैन धर्म की प्राचीनता एवं विशालता सिद्ध होती है I
जैन धर्म का इतिहास
भारत पर प्राचीन काल से ही विदेशी आक्रांताओं जैसे हूण,कुषाण, मंगोल, यूनान एवं मुगलों के हमले होते रहे एवं सभी ने यहाँ की संस्कृति, सभ्यता और अर्थ-व्यवस्था को सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही दृष्टियों से प्रभावित किया I प्रारंभिक आक्रांताओं का प्रयोजन सिर्फ धन लूटना था, जैसे सिकंदर का आक्रमण I तुर्कों,अरबों एवं मुगलों के आक्रमण से पूर्व भारत में हिन्दू, जैन एवं बौद्ध धर्मों के अंतर्गत अनेक संप्रदाय थे I अनेक धार्मिक विश्वासों, पूजन पद्धतियों एवं धार्मिक कृतियों में बहुत अंतर था I अविरल आक्रमणों से भारत की राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति अस्थिर थी I इस्लाम धर्म की कट्टरपन्थिता के कारण हिंदुओं का बड़ी मात्रा में धर्म परिवर्तन के कारण जैन धर्म का प्रभाव भी कम हो गया था I अंग्रेजों के काल में भी अन्य धर्मियों के प्रति कम उदारता के कारण जैन धर्म का ह्रास होता गया I इन सभी परिस्थितियों के कारण जैन धर्म के मतावलम्बी सिकुड़ कर रह गए I
वर्तमान स्थिति
पुराने समय में धार्मिक स्थलों के सञ्चालन एवं वहन के लिए शासकों द्वारा जमीन / गांव देने की व्यवस्था थी I अतः ऐसे सभी धार्मिक स्थलों पर कुछ व्यक्तियों / परिवारों का आधिपत्य हो गया, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी उन्ही के अधिकार में रहा I उपरोक्त व्यवस्था के कारण यह अनुभव में आया है कि हमारे अधिकतर प्राचीन धर्मस्थान (मंदिर / स्थानक / धर्मशाला / तीर्थक्षेत्र) वयोवृद्ध व्यक्तियों / परिवारों के हाथ में है एवं परंपरा के अनुसार उन्हीं परिवारों के हाथ में रहते हैं I ऐसे व्यक्तियों को संस्थाओं के दस्तावेजों (Documents) की जानकारी भी नहीं रहती हैं एवं उनके महत्व का भी पता नहीं रहता है I अब समय के अनुसार चूँकि सरकार इस बारे में अधिक जागरूक होकर उनकी छानबीन करने में सक्रीय हो गई है, अतः उनका महत्व बढ़ गया है I यह भी ध्यान में आया है कि ऐसे कई प्राचीन धर्म क्षेत्रों की करोड़ों रूपये की संपत्ति निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा हड़प ली गई है I
डाक्यूमेंट्स (दस्तावेजों) की उपलब्धता
उपरोक्त व्यवस्था में सुधार लाने के लिए इस परियोजना में जैन धर्म के सभी मंदिरों / स्थानकों / धार्मिक स्थलों / धर्मशालाओं / शिक्षण संस्थाओं को जोड़ने की आवश्यकता है I विशेषकर प्राचीन तीर्थ क्षेत्रों की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है I इसके लिए निम्न लिखित डाक्यूमेंट्स (दस्तावेजों) की उपलब्धता सुनिश्चित करना है -
1. कंटूर मैप (नक्शा) : जिसमें उस जगह की भूमि, सतह, ऊंचाई आदि का वर्णन होने से उसकी भौगोलिक स्थिति का पता लग सकेगा I
2. लोकेशन मैप : इस डॉक्यूमेंट में उस जगह की लोकेशन (अवस्थिति) का पता लग सकेगा, जैसे वह कहाँ पर स्थित है, उसके आसपास चारों दिशाओं में कौन-कौन से संस्थान / भवन वगैरह स्थित हैं I
3. अधिकृत डॉक्यूमेंट, जैसे संविधान (ट्रस्ट डीड) / उप-नियमों (Bylaws) की प्रतिलिपि
4. वर्तमान पदाधिकारियों की सूची (नाम, सम्पूर्ण पता, संपर्क न.) एवं उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड की प्रतिलिपि
5. पिछले २५ वर्षों के पदाधिकारियों की सूची (नाम, सम्पूर्ण पता, संपर्क न.)
6. रेवेन्यू रिकॉर्ड की प्रतिलिपि
7. समस्त संस्थानों मंदिर, धर्मशाला एवं अन्य निर्माण की सूची एवं छायाचित्र
8. मंदिर में विराजमान मूर्तियों की सूची, छायाचित्र, प्रशस्ति,निर्माण वर्ष, प्रतिष्ठा वर्ष
9. संस्था के अंतर्गत चल-अचल संपत्ति का विवरण
कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियां : उपलब्धता
1. कंटूर मैप एवं लोकेशन मैप के अनुसार जगह की उपलब्धता सुनिश्चित करना I इसके लिए आवश्यकता पढ़ने पर सर्वेक्षण (Survey) करवाना
2. अधिकृत डॉक्यूमेंट, जैसे संविधान (ट्रस्ट डीड) के अनुसार कार्य प्रणाली के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना I डॉक्यूमेंट की अधिकृतता को सुनिश्चित करना I यदि नहीं है तो नए तरीके से अधिकृत करवाना I
3. वर्तमान पदाधिकारियों की उपलब्धता (नाम, सम्पूर्ण पता, संपर्क न.) एवं उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड की प्रतिलिपि आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करना
4. मंदिर में प्रस्थापित मूर्तियों की सूची एवं छायाचित्र के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करना
5. चल-अचल संपत्ति का विवरण के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करना
कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियां : डिजिटाइजेशन (अंक रूपण)
डिजिटाइजेशन (अंकरूपण) क्या है ?
हमारी अभी तक की व्यवस्था के अनुसार साधारणतः सभी दस्तावेज "कागज" के रूप में रखे हुए हैं I लेकिन समय के अनुसार उनके खराब होने / गुम जाने / नष्ट हो जाने / चोरी हो जाने की सम्भावना बनी रहती है I अब तकनीकी उन्नति के कारण यह संभव हो गया है कि इन सब दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उनकी प्रतिलिपि सुरक्षित करवा सकते हैं I
अब भारत सरकार के Digital India अभियान के अंतर्गत भी यह अनिवार्यता हो सकने की संभावना हो सकती है I अतः जरूरत है कि समय रहते हुए हम अपने धार्मिक एवं सामाजिक संस्थानों के सभी डाक्यूमेंट्स का पुनर्निरीक्षण कर उनके अनुसार उनके सभी प्रतिष्ठानों एवं संसाधनों की उपलब्धता की पुष्टि कर लें I
डिजिटाइजेशन (अंकरूपण) के फायदे
1. सभी डाक्यूमेंट्स की सुरक्षितता एवं उपलब्धिता की सुनिश्चितता
2. चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षितता एवं उपलब्धिता की सुनिश्चितता
3. चल-अचल संपत्ति के मूल्यांकन में सहायक
4. संस्थाओं द्वारा शासकीय अधिकारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति के बारे में समुचित जानकारी उपलब्ध कराने के कारण अधिग्रहण से बचाना
5. स्वार्थी तत्वों द्वारा उनके दुरुपयोग एवं हड़पने की कोशिश को नाकाम करने में सहायक
6. चोरी होने एवं डाका पढ़ने की स्थिति में ऐसे तत्वों को ढूंढ़ने में सम्बंधित एजेंसीज को सहायक
7. किसी भी कानूनी विवाद के समय सहायक
क्या कर सकते हैं ????
काफी सम्भावना है कि मेरे जैसे वयोवृद्ध व्यक्ति मेरे उक्त विचारों से सहमत नहीं हों, लेकिन जैन धर्म की प्राचीनता एवं जैन धर्म के इतिहास के परिपेक्ष में तो यह मानना ही पढ़ेगा कि जैन धर्मानुयायी जो अखंड भारत में बहुतायत में थे, वे अब कम होते-होते अल्पसंख्यकों में भी अल्प-संख्यक हो गए हैं I इसका एक कारण हमारी उदासीनता के परिणाम स्वरुप हमारे प्राचीन धार्मिक स्थानों में निरंतर कमी होना I अतः यह आवश्यक है कि हम हमारे धार्मिक स्थानों का उचित डॉक्यूमेंटेशन के द्वारा सिर्फ निहित स्वार्थी तत्वों से ही नहीं, बल्कि जरुरत पढ़ने पर सरकारी तंत्र से भी संरक्षण करें I यह एक प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान समय में हमारे मुनियों एवं आचार्यों से प्रेरित होकर नए धार्मिक स्थानों / शिक्षण संस्थाओं का निर्माण हो रहा है I उनके लिए भी उपरोक्त डॉक्यूमेंटेशन एवं डिजिटाइजेशन (अंकरूपण) करने की आवश्यकता है I
चूँकि डाक्यूमेंट्स की उपरोक्त सूची मेरे सीमित ज्ञान के आधार पर तैयार की गई है,अतः परियोजना को JES के विभिन्न केंद्रों द्वारा कार्यान्वित करने के लिए यह सुझाव है कि प्रत्येक चैप्टर द्वारा एक मुख्य धार्मिक केंद्र पर कार्यशाला का आयोजन किया जाय I इसके माध्यम से वहां के सक्रिय कायकर्ताओं के अनुभवों को संग्रहित कर एक मार्गदर्शन पुस्तिका की रचना कर उपरोक्त परियोजना को क्रियान्वित किया जाए I
ई.(डॉ.) प्रकाश जैन बड़जात्या
संस्थापक संरक्षक : जैन इंजीनियर्स सोसाइटी - पुणे प्रकोष्ठ
(9850630326/pbarjatia@gmail.com)
Dear All,
Whole JES NM new Managing committee is working hard to give members something new, something useful, something innovative. We are coming up with many activities every month and you will feel proud to be associated with JES NM. There are some activities which are only for JES family members, some are where only JES members may participate but will be viewed by all. So be part of JES NM Family to be part of the program not just audience.
Following activities are planned in this month of Apr 2021.
Let's Share (Lessons of Success) - We will listen the success story of Shri Rajendraji Jain, Ex-President JES NM and Shri Sanatji Jain, Ex-president JES Goa. Host will be Er. turned RJ Ms. Vidhi P Jain. Pl book your calendar for Saturday 18 Apr 2021, 8:30 PM.
Let's Learn (Learn with Fun) - Kids (of all ages) will learn Art and Craft from our JES NM member Mrs. Swati Ashish Jain, Sanpada. Pl book your calendar for this workshop from Friday, 30 Apr 2021 to Sunday, 2 May 2021, Daily 5:30 PM to 7PM. Project incharge are Er. Rahul Dedhia amd Er. Anjana Gandhi.
Let's Live Healthy (Stay Healthy – Stay Happy) - We will be circulating Corona Awareness posters with regular intervals. Project Incharge is Er. Chandrakant Dedhia.
Let's Know Religion - P.P. Gyanmati Mataji has written several books for children. Books are in PDF format. Through WA and through Pathashala these books will be circulated to all kids and exam will be taken at the end of the month. Pathashala kids will be presented certificates for attending the exams.
Another activity for Kids is Drawing competition on the occasion of Mahaveer Janma Kalyanak. Details are already posted in the group. Project incharge is Er. Khushboo Rahul Jain.
Let's Celebrate - On the occasion of Mahaveer Janma Kalyanak, we are keeping one भजन संध्या Program (एक शाम महवीरके नाम) on teachings of Mahaveer and other Jain principles. All JES members may participate in this program. Project Incharge is Er. Lawkesh Jain
Let's Donate - One of the great principle of Jainism is Aprigrah अपरिग्रह. We generally have lot of things at home which are of no use to us but usable. Let us donate those items to the needy one on the occasion of mahaveer Janma Kalyanak. Last date for dropping the items at temple is 25th Apr 2021, 9PM. Project Incharge is Er. Amol Pande.
Let's Volunteer - JES NM members volunteered at Blood Donation Camp organized by Kutch Yuvak Sangh navi Mumbai at Vashi (11th Apr 2021) and collected 193 units. Few more camps are in pipe line. All members are requested to participate in these camps either as Donor or Volunteers and complete the social responsibility aspect of your life. Project Incharge is Er. Pranav Gandhi.
Theme Project - Minority - Lecture on Scholarship - Sujeet Kholapure, Panvel on Monday 3rd May 2021. Project incharge Er. Alok Jain, Kharghar
Indradhanush - JESNM Social e-Magazine. We will be publishing eMagzine every month. We want editorial team for the Magzine. Pl come forward and contributes your creativity in this Infotainment publication.
Let's Promote (Learn-Earn-Donate) - Project Incharge Er SP Jain, JBN (10 members at a time, Ad in JES NM
eMagazine (Free for JES members, Rs. 600 For 12 months, for Non-JES members))
Project Let’s Celebrate - BDay/ Anniversary etc. will be published in eMagzine and we can wish them personally. JES NM will also wish them with eGreeting Card.
Project Let’s Grow - Membership drive - Every member is to fill the details of the family and also seek for one more Jain Engineer to join JES NM. One Punctuality prize will be declared on 2nd May, Sunday (Last day of the Art and Craft workshop) who fills the form by 30th April.
Memebrs are elected unopposed and good team of Engineers came forward to Serve the society.
Jain engineers society Navi Mumbai has started new project named "Let's Volunteer - Give back to the society".
Under this project, on the invitation by the organiser, JES members volunteered during blood donation drive organised by Kutch Yuvak Sangh, Navi Mumbai.
Many members from Executive Committee volunteered for the event and also donated blood. Happy to mention the names:
1) Er Rajesh Kumar Jain - President JES NM;
2) Er. Rahul Dedhia, EC Member;
3) Er. Sagar Dedhia, Member
donated the blood,
4) Er. Rajesh Sabadra, EC Member registered himself for plasma donation.
In all 193 units of blood was donated in tough covid times and 8 donors donated samples for Covid Plasma Donation.
Plasma Donation Booth was handled by Er Rahul Dedhia and Er Chandrakant Dedhia (both EC members).
Er Anjana Gandhi and Er. Seema Jain (both Members, JES NM) handled Organ Donation Booth and could convince 23 donors for Organ donation pledge.
Er Pranav Gandhi, Member contributed as a part of Blood Donor Registration Team.
Er. Rahul Dedhia, Er. Chandrakant Dedhia, Er Rajesh Kumar Jain was working tirelessly for Social media campaigning and were backbone of the event among other KYS team members.
Other EC Members Er. Sanket Sawalkar, Er. Dheeraj Agarkar and JES NM Member Er. Milind Kapse also Participated in the event.
It is worth to mention that Er. Rahul Dedhia, Er. Dheeraj Agarkar, Er. Pranav Gandhi and Er. Rajesh Kumar Jain participated in the event with their family.
Team KYS thanked Team JES NM for the active participation in the drive and invited again for all the upcoming donation drive at various nodes in Navi Mumbai area.
JES NM intimated to get the similar cooperation from team KYS in the future social events of JES NM.
Compiled by -
Rajesh Kumar Jain
Rahul Dedhia
Manoj Jain, PRO
Hello
The Pune CWC / Executive Committe Members list attached