Happy Birthday
Happy Birthday Mrs.Reena Jain w/o Er. Arvind Kumar Jain , JES Pune Chapter.         Happy Birthday Mrs.Pinky Jain w/o Er. Buddhi Prakash Jain , JES Jaipur South Chapter.         Happy Birthday Archit Jain C/o Er. Jinesh kumar Jain , JES Ujjain Chapter.         Happy Birthday R k jain C/o Er. MAHAVEER PRASAD JAIN , JES Udaipur Chapter.        
Happy Anniversary
Happy Marriage Anniversary to Er. RAJESH KUMAR JAIN & Mrs. Vidhi Rajesh Jain , JES Navi Mumbai Chapter.        Happy Marriage Anniversary to Er. Paritosh Nagarnaik & Mrs. Purva Paritosh Nagarnaik , JES Nagpur Chapter.        Happy Marriage Anniversary to Saurabh Jain & Mrs. Khyati Ajmera , JES Pune Chapter.        
Recommend

Recommend Jain Prominent Personalities of your area

If you know some Jain Prominent Personalities of your area whose contribution in various spheres of life have been of great importance to the Society...

Recommend

Recommend a new member

If you know some Jain Engineer in any part of India who is not member of JES right now, where JES Chapter exists, you can share their details with us...

Register

Register Low Income Jain Families

Please register Low Income Jain Families from your area so that we can assist them in uplifting them.

Upcoming Events

Click here to view the list of upcoming events being organized by different chapters in coming days. It will help you in getting ideas to initiate some constructive activities as that of other chapters.

Chapter Activities

A report of activities different chapters have conducted in past days.

Birthday & Anniversary

Want to wish your chapter friends on their birthday or anniversary? Click here to see the list of friends whose birthday and anniversary are coming in a given span of period.

Business Directory

Want to reach your products into the JES community. Here is the categorized list of products & services our JES members deals in. Use this platform to increase your business amongst JES community.

Job Listing

This is an online platform for job seekers and job providers. You have to be a JES Member to Post any opening on this Job Board.

Newsletters

Keep yourself updated with latest JES happenings.

Working details of the members

Post By : Er. Pradyumna Shah

Read more

All members should update about their area of work with details so that if any members need help or any information, can contact him directly. 

Working details of the members

Post By : Er. Pradyumna Shah

Read more

All members should update about their area of work with details so that if any members need help or any information, can contact him directly. 

धार्मिक स्थलों के डॉक्यूमेंटेशन एवं डिजिटाइजेशन

Post By : Er. Sudhir Jain

Read more

धार्मिक स्थलों के डॉक्यूमेंटेशन एवं डिजिटाइजेशन

एक महत्वपूर्ण गतिविधि

 

एक चुनौती : सभी धार्मिक स्थलों की परिसंपत्ति /भूमि जो भी है, वह राष्ट्र की संपत्ति है !!!

"मंदिर-मठों की परिसंपत्तियों को लेकर होने वाले विवाद के मामलों के समाधान को लेकर सरकार गंभीर है। मंदिरों, मठों एवं अन्य धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वेक्षण के लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद द्वारा प्रपत्र तैयार किया गया है। जिसमें परिसंपत्तियों की भूमि की पुरे विवरण की प्रविष्टि (एंट्री) की जाएगी।" उक्त वक्तव्य बिहार राज्य के के गन्ना उद्योग व विधि मंत्री श्री प्रमोद कुमार ने शनिवार, 21 अगस्त,2021 को "गया" में एक कार्यक्रम के समय कही। कलेक्ट्रेट में प्रमंडल स्तरीय बैठक करते हुए उन्होंने कहा कि सभी धार्मिक स्थलों की परिसंपत्ति /भूमि जो भी है, वह राष्ट्र की संपत्ति है। इसका संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक है। तथा राज्य के धार्मिक स्थलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इसी संदर्भ में 25 ऑक्टो,2021 को "शंका समाधान" के कार्यक्रम में प.पू.मुनि 108 श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने भी इस विषय पर चिंता व्यक्त कर मार्ग दर्शन प्रदान किया था I अतः इस विषय पर गंभीरता से विचार कर समय रहते जागकर कार्य करने की नितांत आवश्यकता है I अतः इस सन्दर्भ में कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे जैन धर्म की प्राचीनता, जैन धर्म का इतिहास, वर्तमान स्थिति, एवं कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों पर विचार करने की आवश्यकता है I 

 

जैन धर्म की प्राचीनता

जैन धर्म की प्राचीनता पर यदि दार्शनिक शैली से विचार किया जाय, तो यह मानना होगा कि यह "अनादि" है I जब पदार्थ अनादि-निधन है, तब वस्तु स्वरूप का प्रतिपादक सिद्धांत क्यों न अनादि होगा ? इस सिद्धांत से विचार करने पर जैन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जायेगा I यह धर्म सर्वज्ञ तीर्थंकर भगवान के द्वारा प्रतिपादित सत्य का पुन्जस्वरूप है एवं मानव सभ्यता के प्रारम्भ में भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) ने इस अहिंसात्मक धर्म को प्रकाशित किया, जिसे पुनः पुनः प्रकाश में लाने का कार्य शेष 23 तीर्थंकरों ने किया I सिंधु नदी के तट पर अवस्थित मोहन जोदड़ो एवं हड़प्पा तथा  मथुरा के कंकाली टीले से प्राप्त पुरातत्व सामग्रियों एवं उड़ीसा राज्य में उदयगिरि-खण्डगिरि की गुफाओं से प्राप्त शिलालेखों के आधार से जैन धर्म की प्राचीनता सिद्ध होती है I वर्तमान समय में भी खुदाई के समय प्राप्त जैन  मूर्तियों एवं भग्नावशेषों से एक पुरातत्ववेत्ता का यह कथन सिद्ध होता है कि यदि हम 15 कि.मी.लम्बी त्रिज्या (radius) लेकर भारत के किसी भी स्थान को केंद्र बना कर वृत्त बनाएं, तो उसके भीतर निश्चय से जैन भग्नावशेष मिलेंगे I इससे भी जैन धर्म की प्राचीनता एवं विशालता सिद्ध होती है I 

 

 

 

जैन धर्म का इतिहास

भारत पर प्राचीन काल से ही विदेशी आक्रांताओं जैसे हूण,कुषाण, मंगोल, यूनान एवं मुगलों के हमले होते रहे एवं सभी ने यहाँ की संस्कृति, सभ्यता और अर्थ-व्यवस्था को सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही दृष्टियों से प्रभावित किया I प्रारंभिक आक्रांताओं का प्रयोजन सिर्फ धन लूटना था, जैसे सिकंदर का आक्रमण I तुर्कों,अरबों एवं मुगलों के आक्रमण से पूर्व भारत में हिन्दू, जैन एवं बौद्ध धर्मों के अंतर्गत अनेक संप्रदाय थे I अनेक धार्मिक विश्वासों, पूजन पद्धतियों एवं धार्मिक कृतियों में बहुत अंतर था I अविरल आक्रमणों से भारत की राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति अस्थिर थी I इस्लाम धर्म की कट्टरपन्थिता के कारण हिंदुओं का बड़ी मात्रा में धर्म परिवर्तन के कारण जैन धर्म का प्रभाव भी कम हो गया था I अंग्रेजों के काल में भी अन्य धर्मियों के प्रति कम उदारता के कारण जैन धर्म का ह्रास होता गया I इन सभी परिस्थितियों के कारण जैन धर्म के मतावलम्बी सिकुड़ कर रह गए I 

 

वर्तमान स्थिति 

पुराने समय में धार्मिक स्थलों के सञ्चालन एवं वहन के लिए शासकों द्वारा जमीन / गांव देने की व्यवस्था थी I अतः ऐसे सभी धार्मिक स्थलों पर कुछ व्यक्तियों / परिवारों का आधिपत्य हो गया, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी उन्ही के अधिकार में रहा I उपरोक्त व्यवस्था के कारण यह अनुभव में आया है कि हमारे अधिकतर प्राचीन धर्मस्थान (मंदिर / स्थानक / धर्मशाला / तीर्थक्षेत्र) वयोवृद्ध व्यक्तियों / परिवारों के हाथ में है एवं परंपरा के अनुसार उन्हीं परिवारों के हाथ में रहते हैं I ऐसे व्यक्तियों को संस्थाओं के दस्तावेजों (Documents) की जानकारी भी नहीं रहती हैं एवं उनके महत्व का भी पता नहीं रहता है I अब समय के अनुसार चूँकि सरकार इस बारे में अधिक जागरूक होकर उनकी छानबीन करने में सक्रीय हो गई है, अतः उनका महत्व बढ़ गया है I यह भी ध्यान में आया है कि ऐसे कई प्राचीन धर्म क्षेत्रों की करोड़ों रूपये की संपत्ति निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा हड़प ली गई है I 

 

डाक्यूमेंट्स (दस्तावेजों) की उपलब्धता  

उपरोक्त व्यवस्था में सुधार लाने के लिए इस परियोजना में जैन धर्म के सभी मंदिरों / स्थानकों / धार्मिक स्थलों / धर्मशालाओं / शिक्षण संस्थाओं को जोड़ने की आवश्यकता है I विशेषकर प्राचीन तीर्थ क्षेत्रों की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है I इसके लिए निम्न लिखित डाक्यूमेंट्स (दस्तावेजों) की उपलब्धता सुनिश्चित करना है - 

1. कंटूर मैप (नक्शा) : जिसमें उस जगह की भूमि, सतह, ऊंचाई आदि का वर्णन होने से उसकी भौगोलिक स्थिति का पता लग सकेगा I

2. लोकेशन मैप : इस डॉक्यूमेंट में उस जगह की लोकेशन (अवस्थिति) का पता लग सकेगा, जैसे वह कहाँ पर स्थित है, उसके आसपास चारों दिशाओं में कौन-कौन से संस्थान / भवन  वगैरह स्थित हैं I 

3. अधिकृत डॉक्यूमेंट, जैसे संविधान (ट्रस्ट डीड) / उप-नियमों (Bylaws) की प्रतिलिपि 

4. वर्तमान पदाधिकारियों की सूची (नाम, सम्पूर्ण पता, संपर्क न.) एवं उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड की प्रतिलिपि 

5. पिछले २५ वर्षों के पदाधिकारियों की सूची (नाम, सम्पूर्ण पता, संपर्क न.)

6. रेवेन्यू रिकॉर्ड की प्रतिलिपि 

7. समस्त संस्थानों मंदिर, धर्मशाला एवं अन्य निर्माण की सूची एवं छायाचित्र 

8. मंदिर में विराजमान मूर्तियों की सूची, छायाचित्र, प्रशस्ति,निर्माण वर्ष, प्रतिष्ठा वर्ष

9. संस्था के अंतर्गत चल-अचल संपत्ति का विवरण 

 

कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियां : उपलब्धता 

1. कंटूर मैप एवं लोकेशन मैप के अनुसार जगह की उपलब्धता सुनिश्चित करना I इसके लिए आवश्यकता पढ़ने पर सर्वेक्षण (Survey) करवाना 

2. अधिकृत डॉक्यूमेंट, जैसे संविधान (ट्रस्ट डीड) के अनुसार कार्य प्रणाली के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना I डॉक्यूमेंट की अधिकृतता को सुनिश्चित करना I यदि नहीं है तो नए तरीके से अधिकृत करवाना I 

3. वर्तमान पदाधिकारियों की उपलब्धता (नाम, सम्पूर्ण पता, संपर्क न.) एवं उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड की प्रतिलिपि आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करना

4. मंदिर में प्रस्थापित मूर्तियों की सूची एवं छायाचित्र के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करना

5. चल-अचल संपत्ति का विवरण के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करना

 

कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियां : डिजिटाइजेशन (अंक रूपण) 

डिजिटाइजेशन (अंकरूपण) क्या है ? 

हमारी अभी तक की व्यवस्था के अनुसार साधारणतः सभी दस्तावेज "कागज" के रूप में रखे हुए हैं I लेकिन समय के अनुसार उनके खराब होने / गुम जाने / नष्ट हो जाने / चोरी हो जाने की सम्भावना बनी रहती है I अब तकनीकी उन्नति के कारण यह संभव हो गया है कि इन सब दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उनकी प्रतिलिपि सुरक्षित करवा सकते हैं I          

             

  

 

अब भारत सरकार के Digital India अभियान के अंतर्गत भी यह अनिवार्यता हो सकने की संभावना हो सकती है I अतः जरूरत है कि समय रहते हुए हम अपने धार्मिक एवं सामाजिक संस्थानों के सभी डाक्यूमेंट्स का पुनर्निरीक्षण कर उनके अनुसार उनके सभी प्रतिष्ठानों एवं संसाधनों की उपलब्धता की पुष्टि कर लें I 

 

डिजिटाइजेशन (अंकरूपण) के फायदे 

1. सभी डाक्यूमेंट्स की सुरक्षितता एवं उपलब्धिता की सुनिश्चितता 

2. चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षितता एवं उपलब्धिता की सुनिश्चितता

3. चल-अचल संपत्ति के मूल्यांकन में सहायक 

4. संस्थाओं द्वारा शासकीय अधिकारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति के बारे में समुचित जानकारी उपलब्ध कराने के कारण अधिग्रहण से बचाना 

5. स्वार्थी तत्वों द्वारा उनके दुरुपयोग एवं हड़पने की कोशिश को नाकाम करने में सहायक 

6. चोरी होने एवं डाका पढ़ने की स्थिति में ऐसे तत्वों को ढूंढ़ने में सम्बंधित एजेंसीज को सहायक

7. किसी भी कानूनी विवाद के समय सहायक 

 

क्या कर सकते हैं ????

काफी सम्भावना है कि मेरे जैसे वयोवृद्ध व्यक्ति मेरे उक्त विचारों से सहमत नहीं हों, लेकिन जैन धर्म की प्राचीनता एवं जैन धर्म के इतिहास के परिपेक्ष में तो यह मानना ही पढ़ेगा कि जैन धर्मानुयायी जो अखंड भारत में बहुतायत में थे, वे अब कम होते-होते अल्पसंख्यकों में भी अल्प-संख्यक हो गए हैं I इसका एक कारण हमारी उदासीनता के परिणाम स्वरुप हमारे प्राचीन धार्मिक स्थानों में निरंतर कमी होना I अतः यह आवश्यक है कि हम हमारे धार्मिक स्थानों का उचित डॉक्यूमेंटेशन के द्वारा सिर्फ निहित स्वार्थी तत्वों से ही नहीं, बल्कि जरुरत पढ़ने पर सरकारी तंत्र से भी संरक्षण करें I यह एक प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान समय में हमारे मुनियों एवं आचार्यों से प्रेरित होकर नए धार्मिक स्थानों / शिक्षण संस्थाओं का निर्माण हो रहा है I उनके लिए भी उपरोक्त डॉक्यूमेंटेशन एवं डिजिटाइजेशन (अंकरूपण) करने की आवश्यकता है I 

 

चूँकि डाक्यूमेंट्स की उपरोक्त सूची मेरे सीमित ज्ञान के आधार पर तैयार की गई है,अतः परियोजना को JES के विभिन्न केंद्रों द्वारा कार्यान्वित करने के लिए यह सुझाव है कि प्रत्येक चैप्टर द्वारा एक मुख्य धार्मिक केंद्र पर कार्यशाला का आयोजन किया जाय I इसके माध्यम से वहां के सक्रिय कायकर्ताओं के अनुभवों को संग्रहित कर एक मार्गदर्शन पुस्तिका की रचना कर उपरोक्त परियोजना को क्रियान्वित किया जाए I 

 

ई.(डॉ.) प्रकाश जैन बड़जात्या 

संस्थापक संरक्षक : जैन इंजीनियर्स सोसाइटी - पुणे प्रकोष्ठ 

(9850630326/pbarjatia@gmail.com)

 

Contact Us

How can we help you?

Please let us know if you have a question, want to leave a comment, or would like further information about Jain Engineer’s Society.

What we do for you

Work for protection of environment, conservation of water resources and safeguarding of sources of energy in urban and rural regions.

Education

Scholarships and grants for students at primary and secondary levels.Interest free loans for higher education (repayment voluntary and after reaching an earning position).

Health

Assistance by JES volunteers during emergencies.Facilitating services of blood donors to the needy. Interest free loans for medical treatment.

Services

Implementing schemes, according to local requirements, for rest houses, lodges and hostels.Providing services for running of old-age homes run by the community.

22 Years

Completed

JES Foundation Committee Members

(2024-2026)

Founder Chairman
Er. Rajendra Singh Jain (Trustee)
Indore
President & Vice President
President
Er. Rajendra K Jain Raneka (Trustee)
Indore
Vice President -I
Er. Atul Jain (Chief Patron)
Ujjain
Vice President -II
Er. Rajesh Patni (Chief Patron)
Aurangabad
Vice President -III
Er. Sharad Sethi (Patron)
Bhopal
Secretary, Treasurer & Members
General Secretary
Er. Prem Chand Chhabra (Chief Patron)
Jaipur
Joint Secretary-I
Er. Devendra Mohan Jain (Chief Patron)
Jaipur
Joint Secretary-II
Er. Vikas Jain (Chief Patron)
Indore
Treasurer
Er. Padam Kumar Jain (Patron)
Kota
Members
Er. Vimal Singh Ji Ghorawat (Chief Patron)
Indore
Members
Er. Mahaveer Prasad Jain (Chief Patron)
Udaipur
Trustees
Er. Mahendra Pahadia (Trustee)
Indore
Er. Pramod Bharal (Trustee)
Navi Mumbai
Er. Santosh K. Bandi (Trustee)
Indore
Er. Santosh Kumar Jain, Indorama (Trustee)
Indore
Er. Shiv Singh Mehta (Trustee)
Indore
Er. Suresh Pandya (Trustee)
Indore
Chief Patron
Er. Amitabh Manya (Chief Patron)
Bhopal
Er. Ashok Patni (Chief Patron)
Kota
Er. Ashok Sojatia (Chief Patron)
Indore
Er. Bharat Doshi (Chief Patron)
Indore
Er. Devendra Jain (Chief Patron)
Bhopal
Er. Dilip Kumbhat (Chief Patron)
Chennai
Er. Manish Rajendra Jain (Chief Patron)
Indore
Er. Naveen Kumar Jain (Chief Patron)
Delhi NCR
Er. Niketan Sethi (Chief Patron)
Indore
Er. Padm Shri Nem Nath Jain (Chief Patron)
Indore
Er. Padm Shri Sushil Doshi (Chief Patron)
Indore
Er. Pratap Singh Talesara (Chief Patron)
Udaipur
Er. Ravish Rajendra Jain (Chief Patron)
Indore
Er. Rikhab Chand Jain (Chief Patron)
Ujjain
Er. Sunil D Katariya (Chief Patron)
Pune
Patron
Dr. Ar. Asha Azaad Jain (Patron)
Indore
Er. Adesh Jain (Patron)
Ahmadabad
Er. Akhilesh Jain (Patron)
Indore
Er. Amalraj Jain (Patron)
Bhopal
Er. Anand Mishrikotkar (Patron)
Aurangabad
Er. Arun Jain 'Vardhman'
Bhopal
Er. Arun Ji Jain (Patron)
Gurugram
Er. Ashok Ji Jain (Patron)
Gurugram
Er. Atul Ji Jain (Patron)
Gurugram
Er. Basanti Lal Khamesra (Patron)
Udaipur
Er. Chetan Thole (Patron)
Aurangabad
Er. Darshan Sancheti (Patron)
Aurangabad
Er. Kamal Pahade (Patron)
Aurangabad
Er. Mahaveer Ku. Kothari (Patron)
Kota
Er. Mahendra Bhandari (Patron)
Indore
Er. Mahendra Kasliwal (Patron)
Jaipur
Er. Maneesh Jain ( Patron)
Ujjain
Er. Navneet Pandya (Patron)
Pune
Er. Nitin Bohara (Patron)
Aurangabad
Er. Rajendra Jain (Patron)
Navi Mumbai
Er. Rajendra Kumar Baj (Patron)
Kota
Er. Rajendra Kumar Luhadia (Patron)
Jaipur
Er. Ramesh Chand Jain (Patron)
Bhopal
Er. Rasik Bothra (Patron)
Nasik
Er. Sanat Jain (Patron)
Goa/Mumbai
Er. Sandeep Jain (Patron)
Bhopal
Er. Santosh Mandlecha (Patron)
Nasik
Er. Sharad Chandra Sethi (Patron)
Bhopal
Er. Sharad Tamot (Patron)
Bhopal
Er. Shirish Bapna (Patron)
Indore
Er. Sudhir Jain (Patron)
Pune
Er. Sunil Jain (Patron)
Bhopal
Er. Sunil Sethi (Patron)
Aurangabad
Er. Vidhi Jain (Patron)
Mumbai West
Er. Vimal Chand Ji Jain (Patron)
Kota
Er. Vinod Shah (Patron)
Jaipur
Zone Incharge
Central Zone

Er. Devendra Jain Bhopal

Bhilai, Bhopal, Chhindwada, Gwalior, Indore, Jabalpur, Kanpur, Raipur, Sagar, Ujjain, Vidisha

North Zone

Er. Naveen Kumar Jain Delhi

Ajmer, Delhi, Faridabad, Gurugram, Jaipur, Jodhpur, Kota, Udaipur

West Zone

Er. Anand Mishrikotkar Aurangabad

Akola, Aurangabad, Goa, Hyderabad, Jalgaon, Mumbai, Nagpur, Nasik, Pune & Vadodara